बात १८ दिसंबर २०१७ की है जब में चंडीगढ़ से हिमाचल सफर कर रहा था। किसी कारण वस् मेरे पास जो भी धन कैश में था , समापत हो चूका था। हलाकि पैसे अकाउंट में मौजूद थे किन्तु सेक्टर ४३ चंडीगढ़ में पहुंच चूका था और वहां जानने में आया की किसी भी एटीएम मशीन में कैश मौजूद नहीं है। दोपहर के १ बज चुके थे व् इसके बाद में लेट हो सकता था। धका तो काफी लगा परन्तु एक बार बस कंडक्टर से बात करना उचित समझा। मै समज चूका था की मुझे कही आस पास एटीएम मशीन ढूंढ़ना ही पड़ेगा और भय इस बात का था के अंतिम बस छूट न जाये । लेकिन फिर भी मेने वापिस जाने के बजाए एक बार बस कंडक्टर से पूछा की क्या में कार्ड पेमेंट या ऑनलाइन पेमेंट कर सकता हूँ और यदि हाँ तो कृपया एक टिकट चंडीगढ़ से सुजानपुर का काट दीजिये।
बस कंडक्टर जगरूप सन्धु जी ने बड़े विनम्र और खेद प्रकट करते हुए पंजाबी में कहा के ( पाजी कार्ड पेमेंट ते नई हेगी तुसीं सेवा दसो वीर जी ) इतने सी वार्तालाप मे मैं समझ तो गया ही था की जगरूप जी एक सज्जन पुरुष हैं। मेने उन्हें आप बीती सुनाई के सेक्टर ४३ के किसी भी एटीएम मशीन में कैश तो उपलब्ध नहीं है और इस बस के बाद, मैं लेट हो जाऊंगा। जगरूप जी ने मेरी समस्या समझी व् मुझे बस में बैठने के लिए कह दिया। यह जानते हुए भी के मैं बस किराया नहीं दे सकता , जगरूप जी ने मेरी सीट बुक कर टिकट भी अपनी जेब से काट के दे दिया। हालाँकि मेने जगरूप जी को आश्वासन दिया की बस जहां कहीं भी रुकेगी में एटीएम से पैसे निकलवा के आपको दे दूंगा। जगरूप जी ने फिर मुस्कराहट में पंजाबी में कहा ( पाजी तुसीं टेंशन ना लेयो )
१७ दिसंबर को सायद मेरी किस्मत ज्यादा ही खराब थी। एक बार बिच में बस किसी ढाबे पे भी रुकी परन्तु वहां भी कोई एटीएम मशीन मौजूद नहीं थी। आखिर में जब में सुजानपुर पहुंच चूका था मेने जगरूप जी से पंजाबी में कहा के ( पाजी बस ५ मिनट देयो में किराया देना है ) जगरूप जी फिर आश्वासन देते रहे पंजाबी में ( पाजी कोई चाकर नई हेगा रहने देयो ) सुजानपुर में उतरते ही मेने एटीएम मशीन की तलाश शुरू की , जानने में आया की एटीएम मशीन ग्राउंड के उस पार है जहां आने जाने में तक़रीबन १० मिनट तो लगने थे। बस केवल ५ मिनट रुकने वाली थी।
में जान तो गया था की आज मेरी किस्मत किसी दूसरी राह पर दौड़ रही है परन्तु इस बात की दिलाशा भी थी की कोई सज्जन पुरुष आज भगवान् के रूप में मेरी मदद करने आया है। सच बताऊ तो जगरूप जी ने अपने इस कार्य से मेरा दिल जीत लिया। मुझे जगरूप जी और इन जैसे हज़ारो लोगो पे गर्व है जो दुसरो की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। जगरूप जी आज के इस कलयुग में हज़ारो लोगो के लिए प्रेरणा सवरूप हैं। हम आशसा करते हैं की जगरूप जी इस तरह के उन्दा कार्य करते रहेंगे व् हज़ारो करोड़ो लोगो का दिल जीतते रहेंगे।
जगरूप सिंह सन्धू शहर भटिंडा से सम्बन्ध रखते हैं व् पी आर टी सी में बतौर बस कंडक्टर जॉब करते हैं। हमें जगरूप जी व् उनके ऐसे कार्यों पर गर्व है।