कुछ वर्ष पहले संधोल मंडी का इलाका काला पानी के नाम से प्रसिद्ध था। चारों तरफ से बड़े व् छोटे नदी नालों से घिरा यह इलाका मुसीबत की घडी से तो तब गुजरता था जब बरसात के मौसम में व्यास नदी पुरे उफान पर होती थी। दूसरी तरफ बाकर खड़ भी कुछ कम मुसीबत नही लाती थी। यातायात के साधन भी न्यूनतम थे तथा आवागमन में भी यहां के लोगों को कई कठिनाईओ का सामना करना पड़ता था।
इसी खाई से गिरा था सख्स |
संधोल का इलाका जिला मंडी के अंतिम छोर पर स्थित है। यह दो अन्य जिलो हमीरपुर एवम काँगड़ा के साथ एक संगम की तरह बसा हुआ है। इसी क्षेत्र से होके व्यास नदी भी गुजरती है। २०१२ से पहले यहां के लोग नोका व् नाव का इस्तेमाल करते थे। नदी के उस पार का इलाका हरसिपतन के नाम से मशहूर है जो २०१२ से पहले एक बंदरगाह की तरह काम में लाया जाता था।
बरसात के दौरान भूस्खलन में सड़कें अस्त ब्यस्त |
हालाँकि २०१२ में व्यास नदी पर बने हरसिपतन पुल जो की मेजर समीर सेतु के नाम से प्रशिद्ध है, से लोगो को काफी राहत हुई। इससे पहले अगर संधोल के लोगो को नदी पार करके उस पार जाना होता था तो नाव का इस्तेमाल करते थे, लेकिन बरसात के दिनों में लोगों को सुजानपुर होके जाना पड़ता था जिससे अधिक समय की खपत होती थी। यहां के लोगों को राहत तो तब हुई जब मुख्यमंत्री वीरभद्र जी ने हारसिपतन से संधोल पुल का शिलान्यास किया।
पूल निर्माण का एक दृश्य |
पुल बन तो गया लेकिन कुछ खामियों का सामना अभी भी लोग कर रहे हैं। काँगड़ा जिला के गाँव हारसी की पहाड़ियों से पथर गिरने की ख़बरें तो अक्षर आती रहती हैं लेकिन बरसात के मौसम के दौरान भूस्खलन भी होता है। पिछले वर्ष की बरसात के दौरान एक अनहोनी घटना हमारे सामने आई जिसमे एक व्यक्ति जो की काँगड़ा जिला से सम्बन्ध रखते थे, दुर्घटना का शिकार हुए। जिस समय वह पुल पार करके गुजर रहे थे एक बड़ा पत्थर उनके सिर पर आ गिरा। चोटें इतनी गहरी थी की व्यक्ति खून से लतपथ होगया और पुल के निचे खाई में गिर गया। व्यक्ति बेहोश हो चूका था। इसी दौरान संधोल क्षेत्र के होनहार युवक मोके पर पहुंचे तथा अपनी जान जोखिम में डाल कर उस घायल व्यक्ति को बाहर निकलने का प्रयत्न किया। संधोल क्षेत्र में गांव सोहर से सम्बन्ध रखने वाले अविनाश ठाकुर (पुत्र श्री अनिल सिंह भंनवाल) , सतीश भनवाल उर्फ़ पंचकु पुत्र श्री बिधि सिंह भंनवाल एवं अभिषेक ठाकुर पुत्र श्री जीत सिह भंनवाल तीनो ने वीरता का अदम्य उदाहरण देते हुए अपनी जान जोखिम में डाल कर घायल व्यक्ति को रसी के सहारे ऊपर खिंचा। चर्चा के दौरान अविनाश ठाकुर ने बताया की घायल व्यक्ति पूरी तरह से बेहोश पड़ा था और पहाड़ी से ऊपर लाने में बड़ी कठिनाई आ रही थी। उसी दौरान तीनो ने एक जीप ड्राइवर से रसी की गुहार लगाई और रसी मिलते ही पुल के निचे जाके घायल व्यक्ति को बांध कर ऊपर खिंच लिया। इतने में काफी लोग भी आगये थे तथा घायल व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल से घायल व्यक्ति को तुरंत राजिंदर प्रशाद मेडिकल कॉलेज टांडा के लिए रेफर कर दिया गया और फिर वहां से उपचार न मिल पाने पर पि जी आई के लिए रवाना किया गया। डॉक्टरों ने बताया की व्यक्ति की हालत गंभीर है। लेकिन समय पर उपचार मिल पाने से घायल व्यक्ति को बचा लिया गया। समय पर अदम्या साहस दिखाते हुए इन होनहार जवानों ने जो कर दिखाया उसी की बदौलत यह संभव हो पाया।
इस खबर का जिक्र अखवारों में भी आ चूका है। पिछले वर्ष इन संधोल के तीनों जवानों को वीरता पुरस्कार के लिए मनोनीत किया गया था। इनके काम को सरकार ने भी सराहा तथा १५ अगस्त के दिन धर्मशाला क्षेत्र में हुई ऐतिहाषिक परेड में ट्रांसपोर्ट मंत्री जी ऐस बाली ने इन्हें वीरता पुरष्कार से भी समानित किया।
हमें भी इन तीनो (अविनाश ठाकुर , सतीश भंनवाल , अभिषेक भंनवाल) एवम इनके साहसिक कार्य पर गर्व है।
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