Friday, August 25, 2017

चंडीगढ़ ट्राइसिटी में हालत हुए बेकाबू

आग में सुलझती बस 


कोर्ट का बड़ा फैसला उस समय सामने आया जिस समय बाबा राम रहीम के सहयोगी कोर्ट के बाहर फैसले का इंतज़ार कर रहे थे। हालाँकि कोर्ट ने साफ़ तोर पे बाबा राम रहीम को दोषी करार दिया गया लेकिन अभी तक सजा का फैसला आना बाकि है। वही दूसरी तरफ भीड़ का एक बढ़ा हुआ जमावड़ा बेकाबू हो गया और पुरे शहर में हैवानियत का परचम लहरा दिया। भीड़ में गुसाये लोगो ने सड़क पर होने वाली यातायात आवागमन को पूरी तरह से नुक्सान पहुंचाया और वाहनों को भी जला डाला। 



चंडीगढ़ में अब तक तक़रीबन 28  बेकसूर लोगो को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा तथा तक़रीबन 100  से अधिक लोगो के घायल होने की भी खबर सामने आई है। एक बड़े स्तर पर  जान माल का नुक्सान हुआ है। भीड़ में गुसाई लोगो ने बसों तथा अन्य गाड़ियों को सबसे पहले शिकार बनाया।  इसमें कोई दो राय नहीं के यह एक सोची समझी रणनीति थी जिसमे किसी छिपी हुई शक्ति का हाथ है। 


क्या है ये मामला : चंडीगढ़ 

2002  में बाबा राम रहीम के खिलाफ उन्ही के आश्रम की दासी ने ये गोपनीय तरीके से इलज़ाम लगाया के बाबा ने दासी के साथ दुष्कर्म किया था। हालाँकि यह बात बिलकुल गोपनीय थी तथा दासी ने भी कभी अपनी पहचान पब्लिक में नहीं कराई थी।  सी बी आई के लिए यह बात चुनोतियो से भरी थी। पहले दासी को ढूंढ़ना एवं दासी को पुरे तरीके से सुरक्षित व् गोपनीय रखना।  सी बी आई अपने कार्यो पर खरी उतरी और अब जब १५ साल बाद हरयाणा के पंचकूला में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया तो बेझिजक एक सचाई की जीत सामने आई। किन्तु ये फैसला हज़ारो लाखो लोगो को रास नहीं आया जिसमे बाबा राम रहीम को दोषी करार दिया गया।  बड़ी बात तो यह है के अभी तक बाबा को कोई सजा नहीं सुनाई गयी है। सजा की घोसना सोमवार को की जाएगी। 

चंडीगढ़ में हालत बेकाबू 

फैसले के 4  दिन पहले से ही लोगो का एक बड़ा जथा बड़े स्तर पे हथियारों के साथ चंडीगढ़ ट्राइसिटी में एकत्रित होना शुरू हो चूका था।  हालाँकि पुलिस व् अर्धसैनिक बल भी हज़ारो की तादाद में मौजूद थे किन्तु इस गुसाई भीड़ में सामने घुटने टेकते नज़र आये। जब इस बात की भनक पहले से ही थी तो सरकार उचित कदम लेने से क्यों कतराती रही। 


भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है इसमें कोई दो राय नहीं है।  हर इंसान को अपनी मर्जी से जीने व् धर्म से जुड़े व्यवसायों में भाग लेने की स्वतंत्रता है परन्तु जब व्ही सवतंत्रता किसी दूसरे निर्दोस की जान की कीमत बन जाये उसे हैवानियत का नाम दिया जाता है। 

हम उम्मीद करते है की यह मामला जल्द से जल्द सुलझे व् उम्मीद करते हैं के जनजीवन फिर से एक पुराने खुशमिजाज तरीके से शुरू हो। 

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