Saturday, September 2, 2017

हिमाचल प्रदेश की कुछ पंचायतों ने किया इलेक्शन का बहिस्कार

इलेक्शन का बहिस्कार 

हिमाचल प्रदेश के  जिला मंडी के अंतर्गत आने वाली धर्मपुर कोंस्टीटूएंसी की कुछ पंचायतों ने हिमाचल सरकार के खिलाफ मोर्चा मोड़ लिया है। मुलभुत सेवाओं तथा सुविधाओं का अभाव होने के कारण लोगो के अंदर करारा आक्रोश देखने को मिला है। इसमें कोई दो राय नहीं है के यहां के लोग अब भी  आजादी के 70  वर्षो के बाद मुलभुत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।  ट्रांसपोर्ट , अस्पताल , रासन सोसाइटी , स्कूल व्  कॉलेजों का अभाव तो कई दशकों से चलता आ रहा है , किंतु अब तक सरकार के कानो पर कोई जूँ नहीं  रेंग पाई है। 

अंतत यहां के वासिओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा शुरू कर दिया है जिसमे कुछ पंचायतें इसी वर्ष होने वाले इलेक्शन्स का करारा बहिस्कार कर रही हैं।  सबसे पहले उभर कर आई बेरी पंचायत के लोगो ने तहसीलदार को पत्र लिख कर अपना रोष जताया तथा बाद में यह भी बताया की अगर सरकार यहां के लोगों का मनोबल गिराती रही तो लोग आने वाले इलेक्शंस में भाग नहीं लेंगे। बेरी के लोगों का मानना है  के आजादी के बाद से अब तक बेरी पंचायत में ट्रांसपोर्ट की कमी सबसे ज्यादा खल रही है। कच्ची सडको  में बड़े बड़े गढ़े इस बात  का प्रतीक है की यहां सरकार ने कभी विकास की राह  पकड़ी ही नहीं।  आज भी लोग इस रास्ते पे अपने वाहन ले जाने से पहले सौ बार सोचते हैं की वाहन ले जाना खतरे से खाली  तो नहीं।  







बेरी पंचायत में मिडिल स्कूल तक की शिक्षा का प्रावधान तो है परन्तु मिडिल स्तर पूरा होते ही पंचायत के छात्रों को  8  की मि पैदल चल कर संधोल स्कूल में जाना पड़ता है।  सोचने वाली बात यह है  के १३ साल तक के छात्र यहां से पैदल चल कर आज भी संधोल जाते हैं।  जब कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है तो मजबूरन यहां के लोगों को बीमार व्यक्ति को  पालकी में उठा कर 8  की मि तक चिकित्षा के लिए लाना पड़ता है। बसों का सिमित होना तथा सिमित समय  में चलना एक बड़ा प्रशन का केंद्र है। आखिर कब तक यहां के लोग इस बात को उच्च स्तर तक ले जाते रहेंगे। 

बेरी  पंचायत की देखा देखि में कुछ अन्य पंचायते भी सामने आयी है जो नवंबर दिसंबर में होने वाले मतों का बहिस्कार कर रही हैं। इन पंचायतो का सीधा मांनंना है की  सरकार अब ढीढ हो चुकी है तथा इस तरह का कदम लेना उचित हो गया है। दृश्य में आई बाकि पंचायते जैसे संधोल , कोठुआं एवं कोठुआं में आने वाले वार्डस चतरून  , बाँह , सेड आदि ने भी बहिस्कार पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया है।  












अगर संधोल की बात की जाये तो बिल्डिंग होने के आभाव से एक ही स्कूल की बिल्डिंग में प्राइमरी स्कूल , हाई स्कूल  , सीनियर सेकेंडरी , आई टी आई संधोल , केंद्रीय विद्यालय संधोल , व् संधोल कॉलेज सब को पनाह दी गई है।  संधोल स्टेडियम के हालत साल दर साल बिगड़ती  जारही है।  बरसात में आने वाली बाढ़ साल दर साल यह नुक़साम करती है फिर भी सरकार की अनदेखी यहां के लोगो के आक्रोश में साफ़ झलकती है।  व्यास नदी पर पल तो करोड़ो  का बन गया किन्तु बसों का अभाव आज भी है। अस्पताल के नाम पर डिस्पेंसरी की सुविधाएं इस बात का संदेह पैदा करती है की यहां के लोगों को इंसानो की तरह इलाज मुहैया करवाना सायद एक बड़ी चुनौती  है। बस स्टैंड का कार्य आज भी रुका पड़ा है जिसे सायद ही सरकार पूरा करा पायेगी।  नेता महानता यहां सब कुर्सी की दौड़ में तो हैं लेकिन दूसरी तरफ नेता लोग यह भूल  चुके हैं की अगर जनता ऊपर बिठा सकती है तो निचे भी गिरा सकती है।  मत बहिस्कार की आग इस तरह से फ़ैल चुकी  है की  सरकार को यहां के वासिओं के आगे नतमस्तक होना ही पड़ेगा।    




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