Tuesday, September 26, 2017

"Sobhagaya Yojana" Electrifying India

Electrifying the Nation


Since the invention of bulb by Thomas Edison in 1879, even though the people are deprived by the electricity and its uses. Even after 70 years of Independence the country still having a lot of tribal areas and poor families which stay back of the facility given by the technical world. Out of 25 crore people of India at least 4 crore of people do not enjoy the electricity, even in 2017. The reason may be many, like tribal areas, below poverty line, lack of dams and electricity generators etc, where people were unable to reach out for the facilities. Even though, till now might be Government was busy somewhere and engaged themselves in other issues. 

However, PM Modi now comes out with a drastic and tremendous step of launching the scheme  Sahaj Bijli Har Ghar "Sobhagaya Yojana" of 16,320 crore on 25 September, where the electricity will be given to all the house holds. The electricity to the poor house holds will be given through out the nation and that too free of cost. No electricity bill will be charged under the scheme. The scheme comes out quite late but worth it for the welfare of the nation. PM Modi also inaugurated the Deendyal urja Bhawan on the birth anniversary of Pandit Deendyal Upadhayay in New Delhi. The people who are below poverty line will be given the electricity and that too for 24 hours a day. 

There was a time when electricity was not invented, the people used to entertain their work along with candles and lanterns. But even after 70 years of independence some of the places in India were struggling for the same. Women of the houses holds uses the candle and lanterns for there work. Students of tribal areas uses the same for their studies. No one had thought about this, but now we have a full hope that the problem will be entertained properly and the initiative taken by the NDA Government is worth for the biggest upcoming change towards the welfare. Of course, the challenges are many but slowly and gradually the proper implementations will take over these biggest problems.




READ ALSO: AVOID DRINK AND DRIVE



Saturday, September 2, 2017

शिमला में हुआ बड़ा लैंडस्लाइड 7 गाड़ियां मलवे के निचे

लैंडस्लाइड 

बरसात थमने का नाम नहीं ले रही और उधर हर दिन कोई न कोइ बड़ा हदशा सामने आ रहा है।  अमूमन छोटे लैंडस्लाइड तो देखने को हर साल मिल  जाते हैं किन्तु इस वर्ष बरसात सब कुछ अपने साथ बहा लेजाना चाहती है।  गौरतलब है की कुछ दिन पहले मंडी में एक भीसम लैंडस्लाइड में h r t c की दो बसों के दबने की  खबर सामने आई थी ,जिसमे तक़रीबन 50 लोगो के मारे जाने की बात सामने आई थी। 


 अभी इस दर्द से बाहर निकल पाना मुश्किल था के इसी के साथ आज शिमला जिला के भटकुफ़्फ़ार में एक भारी लैंडस्लाइड देखने को  मिला।  लैंडस्लाइड उस समय हुआ जब रोड पर जबरदस्त ट्रैफिक के कारण जाम लगा हुआ था।  गाड़िया बिच रोड पर ही खड़ी थी की  इतने में देखते ही देखते पूरा का पूरा पहाड़ निचे गिर गया।  हालाँकि अभी तक मलबे के निचे किसी के मारे जाने की खबर तो नहीं है लेकिन यह जानकारी मिली है के तकरीबन 7 गाड़िया लैंडस्लाइड के मलबे के साथ ही निचे बह गयी।  लैंडस्लाइड होते ही लोगों के बिच अफरा तफरी मच गयी।  ट्रैफिक पुलिस भी मोके पर तैनात है व् लोगों को घटना स्थल से निकालने में पूरा सहयोग प्रदान कर रही है। 



लैंडस्लाइड का वीडियो देखें :
देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें :



निचे दिए लिंक पर क्लिक करें :





हिमाचल प्रदेश की कुछ पंचायतों ने किया इलेक्शन का बहिस्कार

इलेक्शन का बहिस्कार 

हिमाचल प्रदेश के  जिला मंडी के अंतर्गत आने वाली धर्मपुर कोंस्टीटूएंसी की कुछ पंचायतों ने हिमाचल सरकार के खिलाफ मोर्चा मोड़ लिया है। मुलभुत सेवाओं तथा सुविधाओं का अभाव होने के कारण लोगो के अंदर करारा आक्रोश देखने को मिला है। इसमें कोई दो राय नहीं है के यहां के लोग अब भी  आजादी के 70  वर्षो के बाद मुलभुत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।  ट्रांसपोर्ट , अस्पताल , रासन सोसाइटी , स्कूल व्  कॉलेजों का अभाव तो कई दशकों से चलता आ रहा है , किंतु अब तक सरकार के कानो पर कोई जूँ नहीं  रेंग पाई है। 

अंतत यहां के वासिओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा शुरू कर दिया है जिसमे कुछ पंचायतें इसी वर्ष होने वाले इलेक्शन्स का करारा बहिस्कार कर रही हैं।  सबसे पहले उभर कर आई बेरी पंचायत के लोगो ने तहसीलदार को पत्र लिख कर अपना रोष जताया तथा बाद में यह भी बताया की अगर सरकार यहां के लोगों का मनोबल गिराती रही तो लोग आने वाले इलेक्शंस में भाग नहीं लेंगे। बेरी के लोगों का मानना है  के आजादी के बाद से अब तक बेरी पंचायत में ट्रांसपोर्ट की कमी सबसे ज्यादा खल रही है। कच्ची सडको  में बड़े बड़े गढ़े इस बात  का प्रतीक है की यहां सरकार ने कभी विकास की राह  पकड़ी ही नहीं।  आज भी लोग इस रास्ते पे अपने वाहन ले जाने से पहले सौ बार सोचते हैं की वाहन ले जाना खतरे से खाली  तो नहीं।  







बेरी पंचायत में मिडिल स्कूल तक की शिक्षा का प्रावधान तो है परन्तु मिडिल स्तर पूरा होते ही पंचायत के छात्रों को  8  की मि पैदल चल कर संधोल स्कूल में जाना पड़ता है।  सोचने वाली बात यह है  के १३ साल तक के छात्र यहां से पैदल चल कर आज भी संधोल जाते हैं।  जब कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है तो मजबूरन यहां के लोगों को बीमार व्यक्ति को  पालकी में उठा कर 8  की मि तक चिकित्षा के लिए लाना पड़ता है। बसों का सिमित होना तथा सिमित समय  में चलना एक बड़ा प्रशन का केंद्र है। आखिर कब तक यहां के लोग इस बात को उच्च स्तर तक ले जाते रहेंगे। 

बेरी  पंचायत की देखा देखि में कुछ अन्य पंचायते भी सामने आयी है जो नवंबर दिसंबर में होने वाले मतों का बहिस्कार कर रही हैं। इन पंचायतो का सीधा मांनंना है की  सरकार अब ढीढ हो चुकी है तथा इस तरह का कदम लेना उचित हो गया है। दृश्य में आई बाकि पंचायते जैसे संधोल , कोठुआं एवं कोठुआं में आने वाले वार्डस चतरून  , बाँह , सेड आदि ने भी बहिस्कार पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया है।  












अगर संधोल की बात की जाये तो बिल्डिंग होने के आभाव से एक ही स्कूल की बिल्डिंग में प्राइमरी स्कूल , हाई स्कूल  , सीनियर सेकेंडरी , आई टी आई संधोल , केंद्रीय विद्यालय संधोल , व् संधोल कॉलेज सब को पनाह दी गई है।  संधोल स्टेडियम के हालत साल दर साल बिगड़ती  जारही है।  बरसात में आने वाली बाढ़ साल दर साल यह नुक़साम करती है फिर भी सरकार की अनदेखी यहां के लोगो के आक्रोश में साफ़ झलकती है।  व्यास नदी पर पल तो करोड़ो  का बन गया किन्तु बसों का अभाव आज भी है। अस्पताल के नाम पर डिस्पेंसरी की सुविधाएं इस बात का संदेह पैदा करती है की यहां के लोगों को इंसानो की तरह इलाज मुहैया करवाना सायद एक बड़ी चुनौती  है। बस स्टैंड का कार्य आज भी रुका पड़ा है जिसे सायद ही सरकार पूरा करा पायेगी।  नेता महानता यहां सब कुर्सी की दौड़ में तो हैं लेकिन दूसरी तरफ नेता लोग यह भूल  चुके हैं की अगर जनता ऊपर बिठा सकती है तो निचे भी गिरा सकती है।  मत बहिस्कार की आग इस तरह से फ़ैल चुकी  है की  सरकार को यहां के वासिओं के आगे नतमस्तक होना ही पड़ेगा।    




Aganeepath: A super Joke of decade

When the budget of Central reserves are being used for political benefits, when the opposition leaders are being bought. When the political ...